मेरी मर्जी’ के अंदाज़ में नगर परिषद सिराली का संचालन?सीएमओ की कार्यशैली पर उठे सवाल, जनता और जनप्रतिनिधि परेशान

 


शेख अफरोज/1995 में आई गोविंदा की सुपरहिट फिल्म गैंबलर का गाना “मेरी मर्जी” उस दौर में खासा लोकप्रिय हुआ था। आज वही “मेरी मर्जी” सिराली नगर परिषद के मुख्य नगर पालिका अधिकारी (सीएमओ) की कार्यशैली से जोड़कर देखी जा रही है। फर्क सिर्फ इतना है कि फिल्मी गीत मनोरंजन के लिए था, जबकि यहां यह तुलना एक गंभीर प्रशासनिक लापरवाही का प्रतीक बनती जा रही है।

नगर परिषद सिराली में चर्चा आम है कि सीएमओ साहब किसी का भी फोन रिसीव नहीं करते—चाहे फोन करने वाला नगर परिषद अध्यक्ष हो, कोई पार्षद हो, पत्रकार हो या फिर जिला प्रशासन से जुड़ा कोई अधिकारी। यहां तक कि यह बात नगर परिषद कार्यालय, कर्मचारियों और उनके जानने वालों के बीच भी अब “पॉपुलर” हो चुकी है कि “सीएमओ साहब कॉल नहीं उठाते।”

विधायक की समझाइश भी बेअसर

बताया जा रहा है कि कुछ दिन पूर्व आयोजित एक बैठक में क्षेत्रीय विधायक अभिजीत शाह ने भी सीएमओ को इस आदत को लेकर समझाइश दी थी। विधायक ने स्पष्ट रूप से कहा था कि वे जनप्रतिनिधियों और आम नागरिकों के फोन रिसीव करें और वस्तुस्थिति से अवगत हों, ताकि समस्याओं का समय पर समाधान किया जा सके। लेकिन बैठक के बाद भी सीएमओ के व्यवहार में कोई खास बदलाव नजर नहीं आया।

हंसी-मजाक बनती छवि, पर चिंता का विषय

सीएमओ की यह कार्यशैली अब लोगों के बीच हंसी-मजाक और चुटकुलों का विषय बनती जा रही है। लोग गोविंदा के गाने “मेरी मर्जी” से उनकी तुलना कर रहे हैं। हालांकि यह स्थिति प्रशासन और स्वयं अधिकारी के लिए शर्म और चिंता का विषय है। एक महत्वपूर्ण पद पर आसीन अधिकारी का इस तरह व्यवहार करना न केवल उनकी व्यक्तिगत छवि को नुकसान पहुंचाता है, बल्कि पूरे विभाग की साख पर भी सवाल खड़े करता है।

कर्मचारियों पर भी पड़ रहा असर

स्थानीय लोगों का कहना है कि जब शीर्ष अधिकारी ही जवाबदेही से बचते नजर आएंगे, तो इसका गलत संदेश छोटे कर्मचारियों तक जाएगा। इससे अनुशासनहीनता बढ़ेगी और कामकाज की गुणवत्ता पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। प्रशासनिक व्यवस्था का मूल आधार संवाद और जवाबदेही होता है, जो यहां कमजोर पड़ता दिख रहा है।

विकास कार्यों पर दिख रहा असर

नगर परिषद क्षेत्र में चल रहे विभिन्न विकास कार्यों को लेकर भी असंतोष बढ़ता जा रहा है। घटिया निर्माण, ठेकेदारों की लापरवाही और कथित भ्रष्टाचार की शिकायतें लगातार सामने आती रही हैं। लेकिन स्थानीय नागरिकों का आरोप है कि यदि कोई नगरवासी या जिम्मेदार व्यक्ति इन मुद्दों को लेकर सीएमओ से संपर्क करना चाहता है, तो उसे निराशा ही हाथ लगती है।

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