गंदे पानी से होकर स्कूल जाती 400 बालिकाएँ, नगर प्रशासन से समाधान की गुहार


सिराली (बाबड़िया रोड)।
शेख़ अफरोज/शिक्षा का अधिकार हर बच्चे का है, लेकिन यदि उसी शिक्षा के मार्ग में गंदगी और परेशानी खड़ी हो जाए तो यह प्रशासन की लापरवाही का प्रतीक बन जाता है। सिराली स्थित कन्या हायर सेकंडरी स्कूल, बाबड़िया रोड में पढ़ने वाली लगभग 400 छात्राएँ आज भी इसी तरह की समस्या से जूझ रही हैं।

1 सितम्बर को खींची गई तस्वीर इस हकीकत को उजागर करती है। स्कूल के मुख्य रास्ते पर गंदा पानी लंबे समय से भरा हुआ है, जिससे छात्राओं को रोजाना गुजरना पड़ता है। यह न केवल उनके लिए असुविधाजनक है बल्कि स्वास्थ्य के लिए भी गंभीर खतरा है।

प्राचार्य संजय करोड़े ने जानकारी देते हुए कहा, “कई बार नगर प्रशासन और संबंधित विभाग का ध्यान इस ओर आकर्षित कराया गया है, लेकिन समस्या जस की तस बनी हुई है। बालिकाएँ प्रतिदिन गंदे पानी से होकर स्कूल आती-जाती हैं, जिससे उन्हें संक्रमण, बुखार, त्वचा रोग और अन्य बीमारियों का खतरा है।”

विद्यालय प्रबंधन और स्थानीय लोगों का कहना है कि बरसात के दिनों में यह समस्या और ज्यादा विकराल हो जाती है। पानी के साथ-साथ उसमें कचरा और बदबू भी फैल जाती है, जिससे छात्राओं के लिए रास्ता पार करना मुश्किल हो जाता है। कई बार बालिकाएँ गिर भी जाती हैं और उनके कपड़े व किताबें खराब हो जाती हैं। यह स्थिति न केवल पढ़ाई में बाधा डालती है बल्कि छात्राओं के आत्मविश्वास पर भी नकारात्मक असर डालती है।

ग्रामीणों का कहना है कि नगर परिषद के जिम्मेदार अधिकारी और कर्मचारी इस क्षेत्र का दौरा करें तो उन्हें वास्तविक स्थिति का अंदाजा लग जाएगा। उन्होंने सवाल उठाया कि आखिर बालिकाओं की सुरक्षा और स्वच्छता को लेकर प्रशासन इतनी उदासीनता क्यों बरत रहा है।

विद्यालय प्राचार्य ने साफ कहा कि यदि समय रहते इस समस्या का स्थायी समाधान नहीं किया गया तो यह गंभीर स्वास्थ्य संकट में बदल सकती है। उन्होंने नगर प्रशासन से विनम्र निवेदन किया है कि इस मामले को प्राथमिकता में लेकर तुरंत कार्यवाही करें।

स्थानीय लोगों ने भी मांग की है कि स्कूल के सामने नियमित रूप से नाली की सफाई की जाए, पानी निकासी की उचित व्यवस्था बनाई जाए और रास्ते को दुरुस्त किया जाए। उनका कहना है कि 21वीं सदी में भी यदि बेटियों को शिक्षा के लिए इस तरह की मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है तो यह समाज और व्यवस्था दोनों के लिए शर्म की बात है।

आज जब सरकार "बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ" जैसे अभियान चला रही है, तब ऐसे हालात उन अभियानों की सफलता पर सवाल खड़े करते हैं। यदि प्रशासन ने त्वरित कदम नहीं उठाए तो यह समस्या आगे और बड़ी मुश्किल खड़ी कर सकती है।

विद्यालय प्रबंधन, छात्राएँ और उनके अभिभावक अब भी उम्मीद लगाए बैठे हैं कि नगर प्रशासन उनकी इस समस्या को गंभीरता से लेगा और जल्द से जल्द इसका स्थायी समाधान कराएगा, ताकि बालिकाएँ बिना किसी भय और परेशानी के सुरक्षित वातावरण में शिक्षा प्राप्त कर सकें।
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