एनआरएलएम , बैंक और पुलिस विभाग में पूर्व की भांति फिर दबी ना रह जाए कि गई शिकायतें, 12 दिन बीते ,लेकिन अभी भी नही हुई ठोस कार्रवाई
हरदा।एनआरएलएम विभाग के अंतर्गत संचालित स्वयं सहायता समूहों के सदस्यों द्वारा की गई शिकायतें एक बार फिर फाइलों में दबती नजर आ रही हैं। शिकायत दर्ज हुए 10 से 12 दिन बीत चुके हैं, लेकिन अब तक न तो विभागीय स्तर पर कोई ठोस कदम उठाया गया और न ही पुलिस-प्रशासन ने सख्ती दिखाई है।
विभाग की उदासीनता
समूह सदस्यों का आरोप है कि शिकायतों में वित्तीय गड़बड़ियों और जिम्मेदारों की मिलीभगत जैसे गंभीर मुद्दे उठाए गए थे। इसके बावजूद विभागीय अमले ने अब तक न तो जांच शुरू की और न ही किसी आरोपी पर कार्रवाई की। इससे स्पष्ट है कि विभाग शिकायतों को ठंडे बस्ते में डालने की तैयारी में है।
पुलिस और बैंक भी चुप
पुलिस प्रशासन से उम्मीद थी कि मामले में तत्परता दिखाई जाएगी, लेकिन स्थिति उलटी है। पुलिस ने अब तक किसी आरोपी से पूछताछ तक नहीं की। वहीं, बैंक प्रबंधन को भी दोषियों पर कार्रवाई के लिए पुलिस को पत्र भेजना था, लेकिन इस दिशा में भी कोई पहल नहीं हुई। इससे यह संदेह और गहराता जा रहा है कि कहीं विभाग, पुलिस और बैंक की मिलीभगत से ही शिकायतों को दबाने की कोशिश तो नहीं हो रही।
पूर्व की शिकायतों जैसा ही हाल
यह पहली बार नहीं है जब स्वयं सहायता समूहों की शिकायतें अनसुनी की जा रही हैं। इससे पहले भी कई समूहों ने अनियमितताओं को लेकर आवाज उठाई थी, लेकिन उन सभी मामलों का हश्र भी फाइलों में दम तोड़ना ही हुआ। मौजूदा हालात को देखकर लगता है कि इतिहास खुद को दोहराने जा रहा है।
समूह सदस्यों में आक्रोश
लगातार हो रही उपेक्षा से स्वयं सहायता समूहों के सदस्य आक्रोशित हैं। उनका कहना है कि यदि इस बार भी उनकी शिकायतें दबा दी गईं तो वे जिला स्तर पर आंदोलन और धरना-प्रदर्शन करने को मजबूर होंगे। उनका सवाल है कि जब शिकायतों पर समय पर कार्रवाई नहीं होगी तो दोषियों के हौसले बुलंद होंगे और योजनाओं में गड़बड़ियां बढ़ेंगी।
बड़ा सवाल
सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या एनआरएलएम विभाग, पुलिस और बैंक प्रशासन मिलकर शिकायतों को ठंडे बस्ते में डाल रहे हैं? अगर ऐसा है तो इसका खामियाजा उन गरीब परिवारों को भुगतना पड़ेगा, जो योजनाओं के जरिए अपने जीवन स्तर को सुधारने की कोशिश कर रहे हैं।
अब जरूरत है कि जिम्मेदार अधिकारी तुरंत संज्ञान लें और दोषियों पर कार्रवाई करें। अन्यथा यह मामला भी पूर्व की शिकायतों की तरह फाइलों में दफन होकर रह जाएगा और समूह सदस्यों का भरोसा हमेशा के लिए टूट जाएगा।