शेख अफरोज भोपाल। मध्यप्रदेश में नगर पालिका और नगर परिषद अध्यक्षों के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने पर रोक लगाने की तैयारी शुरू हो गई है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई कैबिनेट बैठक में इस संबंध में अध्यादेश लाने का निर्णय लिया गया। इसके जरिये निर्वाचित जनप्रतिनिधियों को शिकायतों के आधार पर पद से हटाने से रोका जा सकेगा।
इसलिए जरूरी हुआ अध्यादेश
पिछले वर्ष राज्य सरकार ने नियमों में संशोधन कर अध्यक्षों के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की न्यूनतम अवधि दो साल से बढ़ाकर तीन साल कर दी थी। साथ ही, प्रस्ताव लाने के लिए पार्षदों की समर्थन संख्या भी दो-तिहाई से बढ़ाकर तीन-चौथाई कर दी गई थी। अब 2022 में हुए चुनावों के बाद अध्यक्षों का तीन साल का कार्यकाल पूरा होने वाला है। ऐसे में अविश्वास प्रस्ताव लाने की स्थिति बन रही थी और कई स्थानों पर विरोध के स्वर तेज हो गए थे।
अध्यक्ष संघ की मांग
मध्यप्रदेश नगर पालिका अध्यक्ष संघ ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर मांग की है कि अध्यक्षों के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की अवधि को तीन साल से बढ़ाकर पूरे पांच साल कर दिया जाए। संघ का कहना है कि नियम में ऐसा प्रावधान किया जाए जिससे अध्यक्ष अपने पूरे कार्यकाल तक सुरक्षित रहें। बताया जा रहा है कि भाजपा के कई पार्षद भी अपने ही दल के अध्यक्षों के खिलाफ बगावत की तैयारी में हैं, जिसके चलते यह कदम सरकार के लिए राजनीतिक रूप से अहम माना जा रहा है।