सिराली नगर परिषद में राजनीतिक भूचाल – अध्यक्ष अनीता अग्रवाल की कुर्सी पर संकट गहराया, पार्षद एकजुट होकर अविश्वास प्रस्ताव की तैयारी में
सिराली। नगर परिषद सिराली में इस समय सियासी हलचल चरम पर है। परिषद के लगभग सभी पार्षद एकजुट होकर अध्यक्ष अनीता अग्रवाल के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की रणनीति बना चुके हैं। नगर भर में चल रही चर्चाओं और सियासी समीकरणों से यह साफ हो गया है कि अध्यक्ष की कुर्सी पर अब गंभीर खतरा मंडरा रहा है। सूत्र बताते हैं कि पार्षद केवल पार्टी के उच्च नेतृत्व से अंतिम हरी झंडी का इंतजार कर रहे हैं।

अध्यक्ष पर आरोप – भ्रष्टाचार और मनमानी की अनदेखी

पार्षदों का आरोप है कि अध्यक्ष अनीता अग्रवाल ने नगर परिषद में पार्षदों की आवाज को बार-बार दबाया और उनके सुझावों की लगातार अनदेखी की। विकास कार्यों में पारदर्शिता खत्म हो चुकी है। परिषद की बैठकों में पार्षदों की राय को दरकिनार कर फैसले लिए गए। सबसे बड़ा आरोप यह है कि नगर परिषद में करोड़ों रुपये के बजट के उपयोग में घोटाले हुए, लेकिन अध्यक्ष ने न केवल आंखें मूंद लीं, बल्कि जिम्मेदार अधिकारियों का साथ भी दिया।

पूर्व सीएमओ राहुल शर्मा पर मनमाने ढंग से काम कराने और लाखों रुपये के भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप पहले से ही चर्चा में रहे हैं। पार्षदों का कहना है कि अध्यक्ष अनीता अग्रवाल ने उस भ्रष्टाचार के खिलाफ कोई ठोस कदम नहीं उठाया, बल्कि चुप्पी साधकर पूरे खेल को संरक्षण दिया। यही कारण है कि अब पार्षद खुलकर विरोध में उतर आए हैं।

पार्षदों की नाराज़गी चरम पर

सूत्रों के अनुसार, अधिकांश पार्षद इस बात से बेहद नाराज़ हैं कि अध्यक्ष ने पद का उपयोग केवल व्यक्तिगत हित साधने के लिए किया। नगर में न तो विकास कार्य गति पकड़ पाए और न ही जनता की मूलभूत समस्याओं का समाधान हो सका। गंदगी, जलभराव और टूटी सड़कों से लोग परेशान हैं, लेकिन परिषद अध्यक्ष और सीएमओ की मिलीभगत से ठेकेदारों को भुगतान जारी रहा।

पार्षदों का आरोप है कि अध्यक्ष ने परिषद को "एकल तानाशाही" की तरह चलाया। शिकायतों और आवेदन पत्रों को नजरअंदाज करना, बजट में गड़बड़ी और भ्रष्टाचार पर मौन रहना, पार्षदों के धैर्य का बांध तोड़ चुका है।

अविश्वास प्रस्ताव पर निगाहें

नगर में चर्चा है कि यदि पार्टी नेतृत्व से अनुमति मिलती है तो अगले कुछ दिनों में परिषद में अविश्वास प्रस्ताव पेश होगा। राजनीतिक समीकरण बताते हैं कि अधिकांश पार्षद अध्यक्ष के खिलाफ वोट देंगे, जिससे अनीता अग्रवाल की कुर्सी जाना लगभग तय है।

हालांकि, कुछ लोग यह भी मानते हैं कि अध्यक्ष अंतिम समय पर पार्टी हाईकमान से सहानुभूति बटोरकर अपनी स्थिति बचाने की कोशिश करेंगी। लेकिन वर्तमान हालात में पार्षदों की एकजुटता और नाराज़गी इतनी प्रबल है कि अध्यक्ष की स्थिति बेहद कमजोर दिख रही है।

जनता में भी रोष

नगर के आम नागरिकों में भी परिषद की कार्यप्रणाली को लेकर गहरी नाराज़गी है। भ्रष्टाचार और लापरवाही के आरोपों ने नगर परिषद की छवि धूमिल कर दी है। लोग खुलेआम कह रहे हैं कि यदि पार्षद भ्रष्टाचार और अनदेखी के खिलाफ खड़े हो रहे हैं तो यह जनता की आवाज ही है।
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