हरदा जिले में प्रभारी सीईओ पर बढ़ता कार्यभार, स्वास्थ्य बिगड़ने पर उठे सवाल

हरदा जिले में प्रभारी सीईओ पर बढ़ता कार्यभार, स्वास्थ्य बिगड़ने पर उठे सवाल

हरदा।जिले में प्रशासनिक कार्यप्रणाली को लेकर एक बार फिर सवाल उठने लगे हैं। कारण है—आयुक्त प्रवीण कुमार इवने, जो फिलहाल प्रभारी सीईओ जनपद पंचायत खिरकिया और प्रभारी जिला पंचायत हरदा के पद पर कार्यरत हैं। नियम-कानून की गहरी समझ और संवेदनशील कार्यशैली के लिए पहचाने जाने वाले इवने अपने अधीनस्थ कर्मचारियों के बीच बेहद सम्मानित अधिकारी माने जाते हैं। कर्मचारी अक्सर दावा करते हैं कि “इतनी गहराई से नियम-कानून जानने वाला अधिकारी हमें पहले कभी नहीं मिला।”

स्वास्थ्य सही न होने पर भी तीन पदों का बोझ

सूत्रों के अनुसार, प्रवीण कुमार इवने का स्वास्थ्य लंबे समय से पूरी तरह ठीक नहीं है। इसके बावजूद उन्हें जिले में लगातार तीन दिन चार-चार महत्वपूर्ण पदों का जिम्मा सौंपा गया है। प्रशासन का यह निर्णय अब सवालों के घेरे में है। कर्मचारियों का कहना है कि एक ही अधिकारी पर इतना अधिक कार्यभार डालना न केवल अनुचित है बल्कि अमानवीय भी है।

जनसुनवाई के दौरान बिगड़ा स्वास्थ्य

मंगलवार को जिला स्तर पर आयोजित जनसुनवाई के दौरान एक अप्रिय स्थिति बन गई। प्रवीण कुमार इवने जब आवेदकों की समस्याएं सुन रहे थे तभी अचानक उन्हें चक्कर आ गया। वहां मौजूद अधिकारियों और कर्मचारियों ने तुरंत उन्हें संभाला और आवश्यक प्राथमिक उपचार दिया। इस घटना के बाद कर्मचारियों में गहरी चिंता व्याप्त है कि अगर भविष्य में कोई गंभीर स्थिति उत्पन्न हो जाए तो इसकी जिम्मेदारी किसकी होगी।

संवेदनशील और कर्मठ अधिकारी होने की सजा?

जिले में यह चर्चा आम हो गई है कि प्रवीण कुमार इवने को उनकी कर्मठता, संवेदनशीलता और नियम-कानून के पालन करने की आदत की "सजा" मिल रही है। क्योंकि वे वरिष्ठ अधिकारियों के आदेशों का पालन करते हुए कभी भी गलत कार्यों में समझौता नहीं करते, इसी वजह से उन पर अतिरिक्त कार्यभार का बोझ डाल दिया गया है। लोगों का कहना है कि “दोष सिर्फ इतना है कि वे ईमानदारी और नियमों से समझौता नहीं करते।”

प्रशासनिक व्यवस्था पर सवाल

यहां सबसे बड़ा सवाल यह है कि जब जिले में अन्य अधिकारी उपलब्ध हैं तो फिर एक ही अधिकारी को इतने महत्वपूर्ण पदों की जिम्मेदारी क्यों सौंपी जा रही है? क्या जिला प्रशासन में योग्य अधिकारियों की कमी है या फिर यह जानबूझकर किया गया निर्णय है? यदि भविष्य में स्वास्थ्य संबंधी कारणों से कोई अनहोनी हो जाती है तो इसकी जिम्मेदारी कौन उठाएगा?

हरदा जिले का यह मामला प्रशासनिक व्यवस्थाओं पर सवाल खड़ा कर रहा है। एक ओर जहां सरकार और अधिकारी कर्मचारियों के स्वास्थ्य व कार्यभार संतुलन की बातें करते हैं, वहीं दूसरी ओर प्रवीण कुमार इवने जैसे कर्मठ और नियम-कानून जानने वाले अधिकारी पर तीन-तीन पदों का बोझ डाल दिया गया है। कर्मचारियों और जनप्रतिनिधियों की यही मांग है कि उन्हें स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए उचित राहत दी जाए और कार्यभार का संतुलन सुनिश्चित किया जाए। वरना भविष्य में किसी भी अनहोनी के लिए जिम्मेदारी प्रशासन पर ही आएगी।

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