हरदा जिले में अवैध मुरम-बजरी कारोबार पर उठे सवाल – क्या खनिज विभाग और पुलिस ने दे रखी है मौन स्वीकृति?

हरदा जिले में अवैध मुरम-बजरी कारोबार पर उठे सवाल – क्या खनिज विभाग और पुलिस ने दे रखी है मौन स्वीकृति?

शेख़ अफरोज हरदा। जिले में अवैध मुरम और बजरी का कारोबार दिनों-दिन परवान चढ़ता जा रहा है। खदानों और नदियों से धड़ल्ले से मुरम-बजरी निकाली जा रही है और ट्रैक्टर-ट्रॉली तथा डंपर दिन-रात ओवरलोडिंग कर गांव-गांव में दौड़ रहे हैं। इस अवैध गतिविधि से जहां शासन को करोड़ों रुपये के राजस्व का नुकसान हो रहा है, वहीं ग्राम पंचायतों की करोड़ों की लागत से बनी आरसीसी सड़कें भी छठिग्रस्त होकर बर्बादी की कगार पर पहुंच चुकी हैं।

ग्रामीणों का कहना है कि खनिज विभाग और पुलिस अवैध कारोबार पर आंख मूंदे बैठे हैं। कार्रवाई के नाम पर केवल औपचारिकता निभाई जाती है। कई ग्रामीण तो यहां तक कहने लगे हैं कि कहीं न कहीं इस पूरे खेल में मौन स्वीकृति दी जा रही है, तभी तो दिनदहाड़े ओवरलोडिंग करने वाले वाहन बेखौफ होकर आवाजाही कर रहे हैं।

स्थिति यह है कि जिन पंचायतों में पिछले वर्षों में लाखों-करोड़ों रुपये खर्च कर सीसी रोड बनाई गई थीं, वे आज भारी वाहनों की मार से जगह-जगह दरारों और गड्ढों में तब्दील हो रही हैं। बरसात के दिनों में तो इन सड़कों से गुजरना और भी मुश्किल हो जाता है। ग्रामीणों का कहना है कि यह सरासर जनधन की बर्बादी है।

इस पूरे प्रकरण में कोटवारों की भूमिका भी संदेह के घेरे में है

इस पूरे प्रकरण में कोटवारों की भूमिका भी संदेह के घेरे में है। ग्रामीणों ने आरोप लगाया है कि गांवों में तैनात कोटवार अक्सर मुंह देखी रिपोर्टिंग करते हैं। यदि कोई अजनबी या सामान्य वाहन अवैध गतिविधि करता है तो तुरंत रिपोर्ट बना दी जाती है, लेकिन जब कोई परिचित या प्रभावशाली व्यक्ति इसमें शामिल होता है तो आंखें मूंद ली जाती हैं। यहां तक कि कई मामलों की सूचना राजस्व और खनिज विभाग के कार्यालयों तक पहुंचाई ही नहीं जाती। इससे स्पष्ट होता है कि अवैध कारोबारियों को स्थानीय स्तर पर भी संरक्षण प्राप्त है।

ग्रामवासियों ने कई बार जिला प्रशासन और खनिज विभाग के अधिकारियों को ज्ञापन देकर शिकायतें की हैं, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। प्रशासन की निष्क्रियता ने आम लोगों के बीच आक्रोश और अविश्वास पैदा कर दिया है। ग्रामीणों का कहना है कि यदि जल्द ही सख्त कदम नहीं उठाए गए तो गांवों की सड़कों का नामोनिशान मिट जाएगा और विकास कार्यों पर खर्च की गई रकम पूरी तरह से बर्बाद हो जाएगी।

सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि खनिज विभाग, पुलिस और राजस्व अमला यदि ईमानदारी से संयुक्त कार्रवाई करे तो अवैध खनन और परिवहन पर रोक संभव है। इसके लिए जरूरी है कि खदान और मार्गों पर चौकसी बढ़ाई जाए, ओवरलोड वाहनों को जब्त किया जाए और दोषियों पर कड़ी दंडात्मक कार्रवाई की जाए।

फिलहाल हरदा जिले के लोगों के मन में यही सवाल है कि क्या प्रशासन वास्तव में इस अवैध कारोबार पर लगाम लगाने को लेकर गंभीर है, या फिर यह पूरा खेल मिलीभगत से चल रहा है? ग्रामीणों की उम्मीद अब जिले के उच्च अधिकारियों और सरकार की ओर टिकी है।



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