सिराली तहसील में अवैध शराब का कारोबार चरम पर — नशा मुक्ति अभियान कागज़ों तक सीमित
सिराली। हरदा जिले की सिराली तहसील में अवैध शराब का कारोबार लगातार फल-फूल रहा है। हालात ऐसे हैं कि तहसील के लगभग 80 से 90 स्थानों पर खुलेआम शराब का विक्रय किया जा रहा है। इस अवैध कारोबार ने न केवल कानून-व्यवस्था को चुनौती दी है, बल्कि युवाओं के भविष्य को भी गंभीर खतरे में डाल दिया है।
पुलिस प्रशासन द्वारा समय-समय पर नशा मुक्ति अभियान चलाने के दावे किए जाते हैं, लेकिन ज़मीनी हकीकत कुछ और ही कहानी बयां करती है। लोगों का कहना है कि यह अभियान अब केवल कागजों में ही सक्रिय है, जबकि गांव-गांव में शराब का धंधा बेरोकटोक जारी है।
इन गांवों में सबसे ज्यादा सक्रिय कारोबार
जानकारी के अनुसार दीपगांव कला, आमासेल, खुदिया, पिपलिया,भगवानपुरा, नहाली कला , महेंद्रर गांव,वराली सहित लगभग हर गांव में अवैध शराब की बिक्री आम बात हो गई है। ढाबों और चाय-नाश्ते की दुकानों पर भी शराब की बिक्री का सिलसिला जारी है। कुछेक गांवों को छोड़कर, तहसील के अधिकांश हिस्सों में यह धंधा खुली चुनौती की तरह संचालित हो रहा है।
युवाओं का भविष्य खतरे में
गांव के बुजुर्ग और सामाजिक कार्यकर्ता बताते हैं कि सस्ती और आसानी से उपलब्ध शराब की वजह से किशोर और युवा वर्ग तेजी से इसकी चपेट में आ रहे हैं। नशे की लत से न केवल उनकी सेहत बिगड़ रही है, बल्कि उनकी पढ़ाई-लिखाई और रोजगार के अवसर भी प्रभावित हो रहे हैं। कई मामलों में घरेलू कलह और अपराध की घटनाओं में भी बढ़ोतरी देखी जा रही है।
प्रशासन की भूमिका पर सवाल
स्थानीय नागरिकों का कहना है कि पुलिस और प्रशासन को इन गतिविधियों की पूरी जानकारी है, फिर भी कार्रवाई नगण्य है। कभी-कभार छापेमारी की जाती है, लेकिन कुछ समय बाद हालात फिर वैसे ही हो जाते हैं। इससे यह सवाल उठता है कि आखिर इस कारोबार को किसका संरक्षण मिल रहा है।
नशा मुक्ति अभियान की हकीकत
पुलिस द्वारा नशा मुक्ति को लेकर लगाए गए बैनर, पोस्टर और आयोजित रैलियां देखने को तो मिलती हैं, लेकिन उनका असर कहीं दिखाई नहीं देता। युवाओं में जागरूकता लाने के प्रयास भी सीमित और औपचारिक लगते हैं।
स्थानीय लोगों की मांग
गांववासियों का कहना है कि यदि प्रशासन सचमुच नशा मुक्त समाज बनाना चाहता है, तो अवैध शराब विक्रेताओं के खिलाफ सख्त और सतत कार्रवाई करनी होगी। इसके साथ ही, युवाओं के लिए खेलकूद, रोजगार और सांस्कृतिक गतिविधियों को बढ़ावा देकर उन्हें सकारात्मक दिशा में ले जाने की जरूरत है।
सिराली तहसील में अवैध शराब का यह फैलता जाल न केवल कानून व्यवस्था की चुनौती है, बल्कि समाज के भविष्य पर भी एक काला साया बन चुका है। अगर अब भी ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो आने वाले समय में इसके गंभीर और दूरगामी परिणाम देखने को मिल सकते हैं।