सिराली में सफाई व्यवस्था बदहाल, अध्यक्ष अनीता अग्रवाल के दावे खोखले साबित हो रहे
सिराली। नगर परिषद सिराली की अध्यक्ष अनीता अग्रवाल भले ही मंच से स्वच्छता और जिम्मेदारी की बातें कर रही हों, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही कहानी बयां करती है। नगर के कई वार्डों और मुख्य बाजार क्षेत्रों में कचरे के ढेर, गंदगी और दुर्गंध आम दृश्य बन चुके हैं। सफाई व्यवस्था इतनी लचर है कि जगह-जगह नालियां जाम हैं और मच्छरों का प्रकोप तेजी से बढ़ रहा है।
नगरवासियों का कहना है कि अध्यक्ष की अपील सुनने में अच्छी लगती है, लेकिन नगर परिषद की अपनी व्यवस्था इतनी कमजोर है कि लोगों को मजबूरी में कचरा सड़क और नालियों में डालना पड़ता है। कई मोहल्लों में तो सफाई गाड़ी हफ्तों तक नहीं पहुंचती, जिससे कचरा सड़कों पर सड़ने लगता है और बदबू से लोगों का जीना मुश्किल हो जाता है।
वार्ड-6 के निवासी राजेश मालवीय का कहना है, “हम भी कचरा समय पर गाड़ी में डालना चाहते हैं, लेकिन जब गाड़ी आए ही नहीं, तो हम क्या करें? सफाई कर्मी भी कभी-कभार ही आते हैं और झाड़ू लगाने के बाद कचरा उठा कर ले जाने की बजाय वहीं छोड़ देते हैं।”
मुख्य बाजार क्षेत्र में भी हालात बेहतर नहीं हैं। सब्जी मंडी के पास और बस स्टैंड क्षेत्र में गंदगी के ढेर और खुले में बहता गंदा पानी संक्रमण फैलाने का खतरा बढ़ा रहा है। कई बार शिकायत करने के बाद भी नगर परिषद से कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।
स्थानीय लोगों का कहना है कि अध्यक्ष के भाषण और अपील केवल औपचारिकता बनकर रह गए हैं। अगर सच में सिराली को स्वच्छ बनाना है, तो सबसे पहले नगर परिषद को अपनी सफाई व्यवस्था में सुधार लाना होगा, नियमित गाड़ियों का संचालन सुनिश्चित करना होगा और सफाई कर्मियों की जवाबदेही तय करनी होगी।
नगर के बुजुर्ग व्यापारी इकबाल खान का कहना है, “स्वच्छता की बातें करना आसान है, लेकिन व्यवस्था को दुरुस्त करना मुश्किल। अफसोस की बात है कि यहां केवल बातें हो रही हैं, काम नहीं।”
कुल मिलाकर, सिराली नगर में स्वच्छता अभियान कागजों पर ही चमक रहा है, जबकि सड़कों और गलियों में गंदगी और बदबू ने लोगों की नाक में दम कर रखा है। जनता का साफ कहना है कि पहले सफाई व्यवस्था सुधारो, फिर लोगों से जिम्मेदारी निभाने की उम्मीद करो।