सिराली — अवैध कॉलोनियों में प्लॉट बिकवाने वाले दलालों का मिजाज, ‘चाय से ज्यादा केटली गर्म’
शेख़ अफरोज सिराली। नगर और आसपास के क्षेत्रों में अवैध कॉलोनियों का खेल इन दिनों चरम पर है। बिना किसी सक्षम अनुमति और वैधानिक प्रक्रिया के, खुलेआम भूखंड काटकर भोले-भाले लोगों को बेचा जा रहा है। इस धंधे में लगे कुछ तथाकथित दलालों का रवैया ऐसा है मानो पूरा शहर उन्हीं की जागीर हो। उनकी भाषा और तेवर देखकर यही कहावत याद आती है — “चाय से ज्यादा केटली गर्म”।
इन दलालों का असली काम कागजों में भी कमजोर है, क्योंकि न तो उनके पास कॉलोनी की वैध स्वीकृति होती है और न ही नगर परिषद या टाउन एंड कंट्री प्लानिंग की अनुमति। लेकिन लोगों को गुमराह करने में ये माहिर हैं। प्लॉट बेचते समय ये ऐसी बातें करते हैं मानो खरीदार को किसी प्रीमियम कॉलोनी में जमीन मिल रही हो। जब खरीदार सवाल करता है तो जवाब में मीठी-मीठी बातों के साथ कभी-कभी धमकी और दबाव की भाषा भी इस्तेमाल करने से नहीं चूकते।
सिराली में हालात यह हैं कि अवैध कॉलोनियों में सड़क, नाली, बिजली, पानी जैसी मूलभूत सुविधाएं तक सही तरीके से उपलब्ध नहीं हैं। बावजूद इसके, दलाल बड़े-बड़े वादे करके ग्राहकों से मोटी रकम वसूल लेते हैं। कई बार तो रजिस्ट्री के नाम पर एडवांस लेकर महीनों तक कागज नहीं दिए जाते। जब खरीदार सवाल करता है, तो दलाल का मिजाज और गरमी किसी उबलती केटली से भी ज्यादा हो जाती है।
स्थानीय नागरिकों का कहना है कि इन दलालों को कहीं न कहीं जिम्मेदार अधिकारियों का संरक्षण प्राप्त है, तभी तो प्रशासन और नगर परिषद की कार्यवाही इन तक नहीं पहुंच पाती। कई मामलों में शिकायतें दर्ज होने के बाद भी जांच वर्षों तक लंबित रहती है। इस बीच, नई-नई कॉलोनियों के नाम पर प्लॉट बिकते रहते हैं और पीड़ितों की संख्या बढ़ती जाती है।
नगर के जिम्मेदार अधिकारी भी जानते हैं कि सिराली में अवैध कॉलोनियों का जाल फैल चुका है, लेकिन अभी तक कोई ठोस कदम उठता नजर नहीं आ रहा। टाउन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग की अनुमति के बिना कॉलोनी विकसित करना और भूखंडों का विक्रय करना सीधे तौर पर कानून का उल्लंघन है, फिर भी यह कारोबार खुलेआम जारी है।
कानून विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे मामलों में कॉलोनी विकसित करने वाले और प्लॉट बिकवाने वाले दलाल दोनों पर आपराधिक मामला दर्ज किया जा सकता है। लेकिन जब तक प्रशासनिक स्तर पर सख्त कार्रवाई नहीं होगी, तब तक दलालों की गरमी ‘चाय से ज्यादा केटली’ की तरह बनी रहेगी और भोले-भाले खरीदार ठगे जाते रहेंगे।
फिलहाल, सिराली के आम नागरिक उम्मीद लगाए बैठे हैं कि शासन-प्रशासन इस गैरकानूनी कारोबार पर लगाम लगाए और उन दलालों की अकड़ को ठंडा करे, जिनका मिजाज कानून से नहीं, बल्कि अपने संरक्षण से चलता है।