40 साल से वार्ड-14 में रह रहे परिवार आज भी आवास और विकास कार्यों से वंचित,कलेक्टर से लेकर तहसीलदार तक कई बार गुहार, लेकिन प्रशासन की बेरुखी जारी
40 साल से वार्ड-14 में रह रहे परिवार आज भी आवास और विकास कार्यों से वंचित,कलेक्टर से लेकर तहसीलदार तक कई बार गुहार, लेकिन प्रशासन की बेरुखी जारी
हरदा। नगर परिषद क्षेत्र के वार्ड क्रमांक 14 के नागरिक पिछले चार दशकों से मूलभूत सुविधाओं और सरकारी योजनाओं के लाभ से वंचित हैं। अटल बिहारी नामक स्थानीय भाजपाई कार्यकर्ता सहित करीब एक दर्जन से अधिक परिवारों ने कलेक्टर, एसडीएम और तहसीलदार को कई बार आवेदन देकर अपनी पीड़ा बताई है, लेकिन अब तक उन्हें आवास सहित किसी भी प्रकार का विकास कार्य नहीं मिला।

बार-बार लगाते हैं गुहार

वार्ड-14 निवासी अटल बिहारी बताते हैं कि वे स्वयं और मोहल्ले के अन्य लोग अब तक दो बार कलेक्टर, एक बार एसडीएम और एक बार तहसीलदार को आवेदन दे चुके हैं। उनका कहना है कि 40 से 45 वर्षों से यहां रह रहे लोगों के पास वर्ष 1995 में जारी वैध पट्टे भी हैं। इसके बावजूद जब वे प्रधानमंत्री आवास योजना या अन्य किसी सुविधा के लिए आवेदन करते हैं तो अधिकारियों द्वारा उनसे “डिजिटल पट्टा लाओ” कहकर आवेदन को खारिज कर दिया जाता है। साथ ही यह भी कह दिया जाता है कि आप “आबादी क्षेत्र में नहीं आते।”

कौन-कौन लोग हैं प्रभावित

इस मोहल्ले में रामकृष्ण, मोहन, बबलू, लाल मोहम्मद, रसीद, निसर मोहम्मद, अनिल, हनीफ खान, मोहम्मद खान, इकबाल खान, शादिक खान, गणेश और महेश कुमार सहित दर्जनों परिवार रहते हैं। इन परिवारों के पास पुराने पट्टे हैं, जिनकी तारीख 01 मार्च 1995 की है। दस्तावेज होने के बावजूद इन्हें न तो आवास योजना का लाभ मिला और न ही क्षेत्र में कोई विकास कार्य किया गया।

विकास कार्यों से उपेक्षा

स्थानीय लोगों का आरोप है कि नगर परिषद द्वारा उनके वार्ड में कोई सड़क, नाली, पेयजल लाइन या स्ट्रीट लाइट जैसी सुविधा नहीं दी जाती। जबकि अन्य वार्डों में नियमित रूप से विकास कार्य हो रहे हैं। नागरिकों का कहना है कि शायद उन्हें “आबादी क्षेत्र में नहीं मानकर” जानबूझकर योजनाओं से बाहर रखा जा रहा है।

40 वर्षों से बसे, फिर भी अनदेखी

निवासियों का कहना है कि वे यहां पिछले 40 से 45 सालों से रह रहे हैं। पीढ़ियाँ गुजर गईं, लेकिन उनके मकान और जीवन स्तर वहीं के वहीं हैं। सरकार की तमाम योजनाएँ—चाहे प्रधानमंत्री आवास योजना हो, उज्ज्वला गैस योजना हो या आयुष्मान कार्ड योजना—दूसरों तक तो पहुँच गईं, लेकिन वार्ड 14 के इन परिवारों तक नहीं पहुँच पाईं।

अधिकारियों की बेरुखी

लोगों ने बताया कि जब भी वे आवेदन लेकर जाते हैं तो अधिकारियों का जवाब होता है कि “आप आबादी में नहीं आते” या फिर “डिजिटल पट्टा लाओ।” नागरिकों का कहना है कि अगर 1995 के पट्टे मान्य नहीं हैं तो फिर इतने वर्षों से उन्हें मकान बनाने और वहाँ रहने दिया ही क्यों गया?

नागरिकों की मांग

वार्ड-14 के नागरिकों की मुख्य माँग है कि –

1. 1995 के पट्टों को मान्य मानते हुए उन्हें आवास योजना का लाभ दिया जाए।

2. वार्ड में सड़क, नाली, बिजली और पानी जैसी बुनियादी सुविधाएँ तुरंत उपलब्ध कराई जाएं।

3. प्रशासन स्पष्ट करे कि आखिर उन्हें “आबादी क्षेत्र से बाहर” क्यों माना जा रहा है।

4. वर्षों से लंबित आवासीय अधिकार और विकास कार्यों की अनदेखी बंद हो।वार्ड-14 के दर्जनों परिवारों का कहना है कि यदि प्रशासन ने उनकी बात पर अब भी ध्यान नहीं दिया तो वे सामूहिक रूप से धरना-प्रदर्शन करने को मजबूर होंगे। सवाल यह है कि 40 साल से अधिक समय से बसे इन परिवारों को आखिर कब उनका हक मिलेगा और क्यों उन्हें योजनाओं से वंचित रखा जा रहा है?
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