सिराली में फिर गूंजा आत्महत्या का सवाल, 1 से 2 वर्षों में लगभग 10 से 15 आत्महत्याओं की घटनाओं का क्या राज बना पहली....? सिराली नगर को एक और सवाल दे दिया है – आखिर क्यों एक छोटा नगर बार-बार आत्महत्याओं जैसीी घटनाओं का गवाह बन रहा है ?जिम्मेदारी पुलिस और प्रशासन की है कि वे सिर्फ कागजी कार्रवाई तक सीमित न रहकर इन मौतों के पीछे की सच्चाई को उजागर करें। तभी नगर इस गहरी चिंता से बाहर आ सकेगा,

दसवीं के छात्र ने जहरीला पदार्थ खाकर दी जान, सिराली में फिर गूंजा आत्महत्या का सवाल

हरदा। आज़ादी का जश्न जहां सिराली नगर में धूमधाम से मनाया जा रहा था, वहीं इसी खुशी के बीच एक दिल दहलाने वाली घटना सामने आई। नगर के 15 वर्षीय किशोर अमित वीले पिता सुनील वीले ने अज्ञात कारणों से जहरीला पदार्थ (सल्फास की गोली) खा लिया। हालत बिगड़ने पर परिजनों ने तत्काल उसे सिराली से जिला अस्पताल पहुंचाया, लेकिन डॉक्टरों ने उपचार के दौरान ही उसे मृत घोषित कर दिया। इस घटना से पूरे मोहल्ले में शोक और सनसनी फैल गई।

जानकारी के मुताबिक, अमित सिराली के एक स्कूल में कक्षा 10वीं का छात्र था। पढ़ाई में सामान्य रहने वाला यह किशोर हमेशा शांत स्वभाव का माना जाता था। उसके द्वारा आत्मघाती कदम क्यों उठाया गया, यह किसी की समझ से परे है। परिवारजन सदमे में हैं और वे भी इस सवाल का जवाब नहीं दे पा रहे कि आखिर उनके बेटे ने ऐसा क्यों किया। पुलिस ने मर्ग कायम कर मामले की जांच शुरू कर दी है, जबकि शव को जिला अस्पताल की मर्चुरी में सुरक्षित रखा गया है। शनिवार सुबह पोस्टमार्टम के बाद अंतिम संस्कार किया जाएगा।

सिराली में बढ़ रही आत्महत्याओं की घटनाएं

सिराली जैसे छोटे नगर में आत्महत्या की घटनाएं बीते कुछ वर्षों से लगातार सामने आ रही हैं। अनुमान के मुताबिक, पिछले 1 से 2 वर्षों में लगभग 10 से 15 लोगों ने आत्मघाती कदम उठाया है। किसी ने फांसी लगाई, तो किसी ने जहरीला पदार्थ खाकर अपनी जान दी। इन घटनाओं के पीछे के वास्तविक कारणों का अब तक स्पष्ट खुलासा नहीं हो सका है।

यह स्थिति नगर के लिए चिंता का विषय बन चुकी है। मनोवैज्ञानिकों का मानना है कि किशोर और युवा वर्ग में तनाव, अवसाद, पारिवारिक दबाव, पढ़ाई का बोझ, सामाजिक प्रतिस्पर्धा और नशे की ओर झुकाव जैसे कई कारण आत्महत्या की प्रवृत्ति को जन्म देते हैं। वहीं प्रशासन और पुलिस की उदासीनता भी इन घटनाओं में अप्रत्यक्ष रूप से जिम्मेदार मानी जा सकती है, क्योंकि जांच अक्सर अधूरी रह जाती है और न ही समाज को यह संदेश मिल पाता है कि आखिर ऐसी नौबत क्यों आई।

जिम्मेदारों को करनी होगी गंभीर जांच

नगर के सामाजिक संगठनों और जागरूक नागरिकों का कहना है कि पुलिस और प्रशासन को इन मामलों की गहन जांच करनी चाहिए। केवल "मर्ग कायम कर विवेचना जारी है" कह देना पर्याप्त नहीं है। आत्महत्याओं के पीछे के कारणों को सामने लाने की आवश्यकता है, ताकि समाज और परिवारों को जागरूक किया जा सके और आगे इस तरह की घटनाओं पर अंकुश लगाया जा सके।

परिवार और समाज में जागरूकता जरूरी

किशोर और युवा मानसिक दबाव को सहन नहीं कर पाते और कई बार वे अपनी समस्याएं परिवार से साझा भी नहीं कर पाते। ऐसे में आत्महत्या जैसी त्रासदी सामने आती है। विशेषज्ञों का कहना है कि परिवारों को अपने बच्चों के व्यवहार और मानसिक स्थिति पर ध्यान देना चाहिए। उन्हें खुला माहौल और संवाद का अवसर देना चाहिए, ताकि वे अपनी परेशानियां आसानी से व्यक्त कर सकें।

अमित की मौत ने सिराली नगर को एक और सवाल दे दिया है – आखिर क्यों एक छोटा नगर बार-बार आत्महत्याओं की घटनाओं का गवाह बन रहा है? अब जिम्मेदारी पुलिस और प्रशासन की है कि वे सिर्फ कागजी कार्रवाई तक सीमित न रहकर इन मौतों के पीछे की सच्चाई को उजागर करें। तभी नगर इस गहरी चिंता से बाहर आ सकेगा।