ग्राम पंचायत सावरी में बड़ा खुलासा: सचिव शेरसिंह ने कहा – "मेरे कार्यकाल में निकाले गए किसी भी मस्टर पर नहीं है मेरे हस्ताक्षर", GRS पर गंभीर आरोप,पत्रकार को प्रलोभन देने में लगे जिम्मेदार
शेख अफरोज खिरकिया (हरदा), 19 जुलाई।
हरदा जिले के खिरकिया जनपद की ग्राम पंचायत सावरी एक बार फिर से चर्चाओं में है। इस बार मामला पंचायत के भीतर चल रहे भ्रष्टाचार और गबन को लेकर सामने आया है। पंचायत सचिव शेरसिंह ने खुद एक बड़ा खुलासा करते हुए आरोप लगाया है कि उनके कार्यकाल में मनरेगा सहित अन्य योजनाओं के अंतर्गत जितने भी मस्टर निकाले गए, उन पर उनके हस्ताक्षर तक नहीं हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि पंचायत में पदस्थ GRS (ग्राम रोजगार सहायक) ने मनमानी करते हुए अपनी मर्जी से मस्टर रोल तैयार कर, उन्हें बिना सचिव के अनुमोदन के जारी किया और लाखों रुपये का भुगतान कर दिया गया।
सचिव शेरसिंह ने स्पष्ट किया कि उनके दस्तावेजों पर फर्जी हस्ताक्षर कर कार्यों को पूरा दिखाया गया है। उनका कहना है कि वे स्वयं कई बार आपत्ति दर्ज करवा चुके हैं, लेकिन GRS द्वारा उन्हें दरकिनार कर योजनाओं का संचालन किया जाता रहा। इतना ही नहीं, सचिव ने यह भी आरोप लगाया कि ग्राम में लगभग 20 खेत तालाब योजना के तहत तालाबों का निर्माण दर्शाया गया, जिनमें से कई सिर्फ कागजों पर बने हैं। मौके पर न तो खुदाई हुई, न ही कोई निरीक्षण किया गया। पंचायत के ग्रामीणों द्वारा भी कई बार इस पर आपत्ति दर्ज की गई, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई।
फर्जी मस्टर और मजदूरी भुगतान का खेल
सचिव शेरसिंह के अनुसार, ग्राम रोजगार सहायक ने गांव में मजदूरी के मस्टर तैयार कर सैकड़ों कार्डधारकों के नाम पर भुगतान दर्शा दिया, जबकि अधिकांश मजदूरों ने कभी काम ही नहीं किया। पंचायत के कुछ ग्रामीणों ने नाम उजागर न करने की शर्त पर बताया कि उनके नाम से मजदूरी के पैसे आए हैं, लेकिन उन्हें जानकारी ही नहीं कि कब और कहां उनका मस्टर चला।
इस पूरे मामले में जब सचिव ने GRS से जवाब मांगा तो उन्हें धमकाया गया। बताया जा रहा है कि पंचायत में पदस्थ GRS, जो स्थानीय प्रभावशाली संगठन से जुड़ा है, अक्सर यह कहकर दबाव बनाता है कि उसकी पहुंच भोपाल के मंत्रियों तक है, और वह "जिसे चाहे सस्पेंड करवा सकता है"।
जॉब कार्ड फर्जीवाड़ा भी सामने आया
ग्राम पंचायत सावरी में चल रहे फर्जीवाड़े की फेहरिस्त यहीं खत्म नहीं होती। सचिव द्वारा उठाए गए एक और गंभीर मामले में जॉब कार्डों के दुरुपयोग की बात सामने आई है। उन्होंने बताया कि जिन मजदूरों ने वर्षों से कोई काम नहीं किया, उनके नाम पर कार्ड बनाकर भुगतान लिया गया। कई कार्ड ऐसे हैं जिनके धारक ग्राम में मौजूद ही नहीं, या वे बाहर प्रवास कर चुके हैं, फिर भी उनके नाम पर मनरेगा की मजदूरी उठाई गई है।
एक स्थानीय ग्रामीण ने बताया कि उसके दादा जी का देहांत दो वर्ष पूर्व हो चुका है, लेकिन पिछले वर्ष उनके नाम पर भी मस्टर चला और भुगतान हुआ। इस प्रकार की अनियमितताएं पूरे पंचायत क्षेत्र में आम बात बन चुकी हैं।
जांच और कार्यवाही की मांग
सचिव शेरसिंह ने इस पूरे मामले की उच्च स्तरीय जांच की मांग की है। उन्होंने कहा कि जब तक इन मस्टरों और योजनाओं की लेखा जांच नहीं होगी, तब तक पंचायत में पारदर्शिता आना असंभव है। उनका कहना है कि उन्होंने इस विषय पर जनपद सीईओ और जिला कलेक्टर को भी पत्र लिखा है, जिसमें उन्होंने सभी फर्जी मस्टर, खेत तालाब योजना, जॉब कार्ड गड़बड़ियों और GRS की भूमिका की निष्पक्ष जांच की मांग की है।
पंचायत के कुछ अन्य सदस्यों और ग्रामीणों ने भी इस मुद्दे पर खुलकर सचिव का समर्थन किया है। उनका कहना है कि GRS की कार्यशैली लंबे समय से संदिग्ध रही है। वह अकेले पंचायत की सभी योजनाओं पर नियंत्रण कर रहा है, और सरपंच-सचिव को मात्र दिखावटी भूमिका में रखा गया है।
राजनीतिक संरक्षण बना है ढाल
यह भी चर्चा में है कि GRS को राजनीतिक संरक्षण प्राप्त है। ग्रामीणों का आरोप है कि वह अक्सर खुलेआम कहता है कि वह क्षेत्र के एक बड़े मंत्री का नजदीकी है, और उसी के नाम पर अधिकारियों पर दबाव बनाता है। इसी वजह से अब तक उसके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हो पाई है।
क्या बोले जिम्मेदार?
जब जनपद पंचायत के एक अधिकारी से इस मामले पर प्रतिक्रिया ली गई, तो उन्होंने कहा कि यदि सचिव द्वारा दिए गए आरोप लिखित रूप में प्राप्त होते हैं, तो जांच की जाएगी। उन्होंने कहा कि GRS की भूमिका यदि संदेहास्पद पाई गई, तो नियमों के अनुसार कार्रवाई की जाएगी। वहीं स्थानीय लोगों ने मांग की है कि इस मामले की जांच जनपद या जिला स्तर से न होकर स्वतंत्र एजेंसी द्वारा की जाए, ताकि निष्पक्षता बनी रहे।ग्राम पंचायत सावरी का यह मामला पंचायतों में व्याप्त भ्रष्टाचार, राजनीतिक दबाव और जवाबदेही की कमी को उजागर करता है। यदि समय रहते इस पर कार्रवाई नहीं की गई, तो यह सिर्फ एक पंचायत नहीं, बल्कि पूरे प्रशासनिक तंत्र की साख पर सवाल बन जाएगा। सचिव द्वारा किया गया यह खुलासा पंचायत व्यवस्था की गंभीर विफलताओं की ओर इशारा करता है, जिस पर अब जनता की निगाहें और प्रशासन की जिम्मेदारी दोनों टिक चुकी हैं।
– रिपोर्ट: हारदा हलचल