नगर परिषद सिराली में सैकड़ों की तादाद में धूल खा रही कचरा पेटियाँ, जिम्मेदारों की अनदेखी से जनता परेशान
शेख अफरोज/सिराली नगर परिषद क्षेत्र में स्वच्छता और साफ-सफाई को लेकर भले ही बड़े-बड़े दावे किए जा रहे हों, लेकिन जमीनी हकीकत इससे बिल्कुल उलट है। नगर परिषद द्वारा लाखों रुपये खर्च कर खरीदी गई सैकड़ों कचरा पेटियाँ आज धूल फांक रही हैं। ये डस्टबिन या तो गोदामों में पड़ी जंग खा रही हैं या नगर परिषद परिसर में बेतरतीब ढंग से पड़ी देखी जा सकती हैं। यह स्थिति नगर परिषद की कार्यप्रणाली और संसाधनों की बर्बादी की पोल खोल रही है।
जानकारी के अनुसार, नगर परिषद सिराली ने स्वच्छ भारत मिशन के तहत शहर में सार्वजनिक स्थानों, मोहल्लों, बाजारों और वार्डों में कचरा संग्रहण को सुचारू रूप से संचालित करने के उद्देश्य से सैकड़ों की संख्या में कचरा पेटियाँ खरीदी थीं। इन डस्टबिनों की कीमत लाखों रुपये बताई जा रही है। लेकिन अफसोस की बात यह है कि यह कचरा पेटियाँ न तो शहरभर में सही ढंग से लगाई गईं और न ही इनका उपयोग सुनिश्चित किया गया।
स्थानीय लोगों का कहना है कि अधिकांश वार्डों में या तो कचरा पेटियाँ हैं ही नहीं, और अगर कहीं हैं भी, तो टूट-फूट चुकी हैं या महीनों से कचरे से भरी पड़ी हैं। कई स्थानों पर रखी गई डस्टबिनों की सफाई समय पर नहीं होती, जिससे बदबू फैलती है और संक्रामक बीमारियों का खतरा बना रहता है। वहीं दूसरी ओर, कई नए और मजबूत कचरा कंटेनर गोदामों में जंग लगते हुए खराब हो रहे हैं।
एक स्थानीय व्यापारी ने बताया कि, "नगर परिषद ने डस्टबिन तो खरीदे लेकिन इनकी सही प्लानिंग और वितरण नहीं किया। आज भी नगर के प्रमुख चौराहों और बाजारों में लोग खुले में कचरा फेंकने को मजबूर हैं।"
वहीं कुछ पार्षदों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि कचरा पेटियों की खरीदी में पारदर्शिता नहीं बरती गई। बिना आवश्यकता के भारी संख्या में खरीद की गई, लेकिन न तो इनकी संख्या का ऑडिट हुआ और न ही उपयोगिता का आंकलन।
जब इस विषय में नगर परिषद के अधिकारियों से बात की गई तो उन्होंने जवाब देने से कन्नी काट ली। सीएमओ से संपर्क करने पर बताया गया कि संबंधित फाइलें जांच में हैं और जल्द ही उचित कार्रवाई की जाएगी। मगर यह “जल्द” कब आएगा, इसकी कोई समय-सीमा नहीं बताई गई।
इस लापरवाही का सीधा असर नगर की सफाई व्यवस्था पर पड़ रहा है। नालियों में कचरा भर रहा है, गलियों में कूड़े के ढेर लग रहे हैं और सड़कों पर बदबू से लोगों का चलना दुश्वार हो गया है।
स्वच्छता अभियान की उड़ती धज्जियाँ
प्रधानमंत्री द्वारा शुरू किए गए स्वच्छ भारत मिशन के तहत देशभर में नगर निकायों को सफाई व्यवस्था दुरुस्त करने के लिए करोड़ों रुपये आवंटित किए गए थे। नगर परिषद सिराली को भी इस योजना के तहत राशि प्राप्त हुई थी, जिसका उपयोग कचरा पेटियाँ, गाड़ियों और संसाधनों की खरीदी में किया गया। लेकिन ज़मीनी सच्चाई यह है कि यह संसाधन उपयोग होने की बजाय राजनीतिक और प्रशासनिक लापरवाही की भेंट चढ़ गए हैं।
जनता ने की जवाबदेही तय करने की मांग
स्थानीय निवासियों और सामाजिक संगठनों ने मांग की है कि नगर परिषद द्वारा की गई कचरा पेटी खरीदी की स्वतंत्र जांच हो और उन अधिकारियों पर कार्रवाई की जाए जिन्होंने इस जनहित के कार्य को लापरवाही से अंजाम दिया। इसके साथ ही कचरा पेटियों को सही स्थानों पर लगाया जाए और नियमित सफाई सुनिश्चित की जाए।
यदि समय रहते नगर परिषद ने इस ओर ध्यान नहीं दिया, तो आने वाले समय में सिराली शहर स्वच्छता रैंकिंग में पिछड़ सकता है और साथ ही जनस्वास्थ्य पर भी संकट गहरा सकता है।