खेडीपुरा शासकीय स्कूल में गुरु पूर्णिमा पर्व हर्षोल्लास से मनाया गया
शेख अफरोज हरदा |गुरुवार को गुरु पूर्णिमा के पावन अवसर पर शासकीय एकीकृत माध्यमिक शाला, खेडीपुरा हरदा में श्रद्धा और उत्साह के साथ विशेष आयोजन किया गया। विद्यालय प्रांगण में कार्यक्रम की शुरुआत मां सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्वलन के साथ की गई। पूरे विद्यालय परिसर में आध्यात्मिकता और श्रद्धा का वातावरण देखने को मिला।
कार्यक्रम में विशेष रूप से प्रांतीय शिक्षक संघ की प्रांतीय मीडिया प्रभारी श्रीमती सीमा निराला उपस्थित रहीं। उन्होंने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए गुरु के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि गुरु ही जीवन का सच्चा मार्गदर्शक होता है, जो सही और गलत की पहचान कराता है। माता-पिता के बाद यदि कोई हमारे जीवन को आकार देता है, तो वह गुरु होता है। भारतीय संस्कृति में गुरु का स्थान अत्यंत पूजनीय और उच्चतम माना गया है। श्रीमती निराला ने बच्चों को बताया कि गुरु वह दीपक है जो अज्ञान रूपी अंधकार को मिटाकर ज्ञान का प्रकाश फैलाता है। गुरु के बिना जीवन की दिशा तय करना कठिन है, इसलिए हमें अपने शिक्षकों का सदैव सम्मान करना चाहिए।
इस अवसर पर सेवानिवृत्त शिक्षिका श्रीमती मीरा शर्मा ने भी विद्यार्थियों को गुरु की महत्ता से अवगत कराया। उन्होंने गुरु को जीवन की आधारशिला बताते हुए कहा कि शिक्षक केवल विषयों की जानकारी ही नहीं देते, बल्कि जीवन को सही मार्ग पर ले जाने की प्रेरणा भी देते हैं। श्रीमती शर्मा ने विद्यार्थियों को आशीर्वचन देते हुए उज्ज्वल भविष्य की कामना की।
कार्यक्रम में विद्यालय की प्रधान अध्यापक एवं शाला प्रभारी श्रीमती रेखा सोनी ने भी बच्चों को गुरु पूर्णिमा के महत्व के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि यह पर्व न केवल अध्यापकों को सम्मान देने का अवसर है, बल्कि यह विद्यार्थियों को अपने लक्ष्य की ओर अग्रसर होने की प्रेरणा भी देता है।
इस अवसर पर शिक्षिका किरण राठौर, निर्मला मालवीय, सरला बांके, दीपाली गोखले, सविता शर्मा एवं शिक्षक लीलाधर दरवाई सहित विद्यालय के समस्त शिक्षकगण उपस्थित रहे। छात्र–छात्राओं ने भी कविता, भाषण और गीतों के माध्यम से गुरु के प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त की। बच्चों ने "गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णु..." जैसे श्लोकों का उच्चारण कर वातावरण को भक्तिमय बना दिया।
कार्यक्रम का आयोजन शालीनता और गरिमा के साथ किया गया, जिसमें गुरु–शिष्य परंपरा की झलक साफ दिखाई दी। विद्यालय परिवार द्वारा गुरुजनों का तिलक लगाकर स्वागत किया गया और विद्यार्थियों ने उनके चरण स्पर्श कर आशीर्वाद प्राप्त किया।
गुरु पूर्णिमा जैसे आयोजनों से न केवल विद्यार्थियों में संस्कृति और संस्कारों का विकास होता है, बल्कि शिक्षकों और छात्रों के बीच आत्मीय संबंध भी सुदृढ़ होते हैं। कार्यक्रम के समापन पर सभी उपस्थितों ने गुरुजनों का अभिनंदन कर उनके प्रति कृतज्ञता व्यक्त की।
इस तरह खेडीपुरा शाला में गुरु पूर्णिमा पर्व का आयोजन न केवल एक सांस्कृतिक उत्सव था, बल्कि यह शिक्षा के मूल्यों और गुरु–शिष्य संबंधों को पुनः जाग्रत करने का एक श्रेष्ठ माध्यम भी सिद्ध हुआ।