कोर्ट ने पाक्सो एक्ट के बढ़ते मामलों पर चिंता जताई

संज्ञान लेकर मुख्य सचिव सहित अन्य से मांगा जवाब

जबलपुर मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने मध्य प्रदेश में पाक्सो एक्ट बढ़ते मामलों को लेकर चिंता जताई। मुख्य न्यायाधीश सुरेश कुमार कैत व न्यायमूर्ति विवेक जैन की युगलपीठ ने संज्ञान आधार पर जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए केन्द्रीय सचिव महिला एवं बाल विकास विभाग, प्रदेश के मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव महिला एवं बाल विकास, पुलिस महानिदेशक, राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग व राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग को नोटिस जारी कर जवाब-तलब कर लिया। हाई कोर्ट ने कहा कि अधिकतर प्रकरणों में पीड़ितार की आयु 16 से 18 वर्ष के बीच है और आरोपितों की आयु 19 से 22 वर्ष पाई गई है। अपराधों में इतनी वृद्धि का मुख्य कारण पाक्सो एक्ट के प्रविधानों के बारे में पर्याप्त जागरूकता का अभाव है। पाक्सो अधिनियम की धारा-43 के तहत केन्द्र सरकार और राज्य सरकार का यह दायित्व है कि इस अधिनियम के प्रविधानों को टेलीविजन, रेडियो और प्रिंट मीडिया सहित मीडिया के माध्यम से नियमित अंतराल पर व्यापक प्रचार-प्रसार सुनिश्चित करने के लिए हर संभव कदम उठाए। जिससे आम जनता, बच्चों के साथ-साथ उनके माता-पिता और अभिभावकों को अधिनियम के प्रविधानों के बारे में जानकारी हो सके। इसके अलावा पुलिस अधिकारियों सहित संबंधित व्यक्तियों को अधिनियम के प्रविधानों के कार्यान्वयन से संबंधित मामलों पर समय-समय पर प्रशिक्षण दिए जाने का प्रविधान है। हाई कोर्ट की तीनों पीठों में इस समय कुल 14531 आपराधिक अपील लंबित हैं।

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