प्रशासन स्कूलों पर तो बहुत शख्त है पर इन स्कूलों से भी बड़े शिक्षा माफियाओं पर किसी का भी ध्यान नहीं है...
शेख़ अफ़रोज़ हरदा/शिक्षा का नया सत्र प्रारंभ होते ही हो जाता है प्राइवेट ट्यूशन का धंधा शुरू। एक कमरा किराए का लेकर एक बोर्ड लगाकर जिसमे न पानी न बाथरूम की व्यवस्था न बैठने के लिए फर्नीचर न सुरक्षा के कोई उपाय या साधन।वही शिक्षक जो प्राइवेट स्कूलों में तो पढ़ाते ही है साथ मे उन्ही बच्चो को घर पर ट्यूशन भी।ऐसा क्या स्कूलों मे वे शिक्षक नही पढ़ाते जो ट्यूशन में पढ़ाया जाता है। पड़ताल करने पर पता चला कि विषय के शिक्षकों द्वारा बच्चो को परीक्षा में फेल होने या प्रेक्टिकल में मार्क्स कम देने की धमकी दी जाती है नाम नही बताने की शर्त पर बच्चो ने हमे बताया कि अगर स्कूल मे ही टीचर अच्छे से पूरा पढ़ाए समझाए तो हम ट्यूशन जाए ही क्यू। स्कूल मे हमे एक पीरियड में एक दो प्रश्न या एक्सरसाइज करा दी जाती है बस और ट्यूशन आने का बोला जाता है।इन शिक्षा माफियाओं द्वारा बच्चो के पालकों से मोटी रकम भी ली जाती है जितनी तो स्कूलों की पूरे साल की फीस भी नही होती उतना तो ये ट्यूशन माफिया मात्र 2.3 विषयों का ही लूट लेते हैं। ऐसे मे गरीब परिवार के बच्चे पैसा न होने के कारण ट्यूशन नही जा पाते।न हि स्कूलों मे पूरी पढ़ाई हो पाती है।पालक मौन बनकर खुद को लूटने का तमाशा देखते हैं। पालकों की मजबूरी हो जाती है अपने बच्चो को इनके पास ट्यूशन पढ़ने भेजने की।शासन प्रशासन स्कूलों पर तो बहुत शख्त है पर इन स्कूलों से भी बड़े शिक्षा माफियाओं पर किसी का भी ध्यान नहीं है।
शासन को इन स्कूलों की मान्यता रद करनी चाहिए
शासन ने ऐसे स्कुलो की मान्यता ही रद्द कर देनी चाहिए जो अपनी ही स्कूल के बच्चो को अपनी ही स्कूल के शिक्षकों के पास ट्यूशन पढ़ने जानें की परमिशन और स्टाफ को प्राइवेट ट्यूशन करने की अनुमती प्रदान करते हैं।