जनता के मुँह का निवाला छीनने में भी नही हिचकिचा रहे...
हरदा/राशन दुकान डिलर,विक्रेता द्वारा गरीबो को मिलने वाले खाद्यान्न के वितरण में मनमानी की जा रही है ,दुकानों का ना तो कोई निश्चित समय ना वितरण किये जाने का कोई दिनाक ,जब मन हुआ महीने में अचानक दुकान खुल जाती है और खाद्यान्न वितरण का काम शुरू हो जाता है, ऐसे में जिस व्यक्ति ,परिवार के सदस्यों को सूचना नही मिल पाती है या किसी काम से गांव से बाहर गए हुए व्यक्तियों को राशन लेने से वंचित होना पड़ता है।विक्रेता, डीलरों के पास कईं-कईं दुकानों के चार्ज है ,वह अपनी मनमर्जी से दुकाने खोंलने बन्द करने वितरण करने का कार्य करते हैं।इनकी वरिष्ठ अधिकरियो की पूरी छूट है, तभी तो अगर कोई शिकायत भी की जाती है तो जांच के नाम पर खाना पूर्ति की जाती है बस और कुछ नही कार्यवाही तो शून्य ही ज्यादा तर मामलों में दिखाई पड़ती है।
सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत उचित मूल्य राशन दुकानों पर राशन की दरों को प्रदर्शित करने वाले ना तो बोर्ड है जिसपर दुकान और दुकानदारों का पूरा विवरण लिखा हो । जिससे कार्ड धारकों को दुकान से संबंधित जानकारी पाने के लिए कहीं भटकना न पड़े। इसके अलावा कोटेदार भी कार्ड धारकों से अनाज का अधिक मूल्य न ले सके। राशन वितरण प्रणाली में पारदर्शिता लाने के उद्देश्य से यह प्रक्रिया अपनाई जाना चाहिए
आमतौर पर निर्धारित सूचनाएं बोर्ड पर अंकित हो जाए तो इससे दुकान के स्टॉक है, खाद्य सामग्री का मूल्य, वितरण की तारीख की जानकारी उपभोक्ता को नहीं हो पाती थी।