सट्टे का अवैध कारोबार कानून की ढीली पकड़,और दल्ले नेताओ के खाईवालों को दिये गए संरक्षण ,के कारण खुलेआम संचालित हों रहा है।
शेख अफ़रोज़ सिराली/सिराली में इन दिनों सट्टे का अवैध कारोबार जोर शोर से चल रहा है। ओपन, क्लोज और रनिंग के नाम से चर्चित इस खेल में जिस प्रकार सब कुछ ओपन हो रहा है उससे यही प्रतीत होता है कि प्रमुख खाईवाल को कानून का कोई खौफ नहीं रह गया है। नगर में इस खेल के बढ़ते कारोबार का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि पुरुष तो पुरुष महिलाएं एवं बच्चे भी दिन-रात इस अंकों के जाल में उलझे रहते हैं। प्रमुख खाईवाल के एजेंट जो पर्ची काटते हैं नगर की ज्यादा तर भीड़ भाड़ वाले एरिए में पर्ची काटते आसानी से देखे जा सकते हैं ।एक रुपए को अस्सी रुपया बनाने के चक्कर में खासकर युवा वर्ग अधिक बर्बाद हो रहे हैं। सट्टे का सोक रखने वालों की माने तो आज कल सट्टे के इस खेल को बढ़ावा देने सटोरी ग्राहकों को मुफ्त में स्कीम देखने के लिए सट्टे के नंबर वाले चार्ट उपलब्ध करा रहे हैं। इसका गुणा भाग करके ग्राहक सट्टे की चपेट में बुरी तरह से फंस कर पैसा इस अवैध कारोबार में गंवा रहा है।पहाड़ी एरिए सहित आसपास के ग्रामो के लोग बड़ी सख्या में यहा सिराली सट्टा लिखाने आ रहे हैं।
इन स्थानों पर आसानी से देखे जा सकते हैं सट्टा लिखने और लिखवाने वाले:-
नगर में नया बस स्टेंड, पुराना बस स्टेंड के आसपास होटलो पान की दुकानों बस स्टैंड, गांधी चौक के आसपास, सब्जी मार्केट ,सिराली चारुवा रॉड स्थिति होटलों भोजनालयों में,ढ़ाबोऔर चौक चौराहे में स्थित कई जनरल स्टोर्स, नाई व पान दुकानों में सट्टे के लिखवाने वालों की भीड़ देखी जा सकती है। के किस कदर लोग खाईवालों के चक्रव्यूह में फंस चुके हैं की इससे उबर नहींं पा रहे हैं।
चार लोग है ,जो बड़े-छोटे खाईवाल बन के नगर में लिखते हैं सट्टा:-
सिराली नगर में एक दो नही बल्कि चार खाईवाल लंबे समय से सट्टा संचालित कर रहे हैं। सूत्रों की माने तो पुलिस और खाईवालों की मिलीभगत से यह अवैध कारोबार नगर सहित आस पास के अंचल में पुरी तरह से चरम पर है। खाईवालों ने भी गांव व नगर में अपना-अपना जोन बंटा हुआ है। एक दूसरे के जोन में कोई दखल नहीं देता है।
राजनैतिक पहुंच और पुलिस से सांठगांठ के चलते ये अवैध कारोबार को बाकायदा लाइसेंसी कारोबार के रूप में खुले आम शहर में संचालित हो रहा है।:-
राजनैतिक पहुंच और पुलिस से सांठगांठ के चलते ये अवैध कारोबार को बाकायदा लाइसेंसी कारोबार के रूप में खुले आम शहर में संचालित हो रहा है। पुलिस और खाईवालों की सेटिंग इतनी तगड़ी है कि ऊपर अधिकारियों को दिखाने ये खाईवाल अपने गुर्गों के नाम हर महीने एक-एक प्रकरण बनवा देते हैं। ऊपर बैठे अफसरों को लगता है पुलिस कार्रवाई कर रही है। जबकि वास्तव में ये सांठगांठ का एक पहलू होता है। सवाल ये है कि जब पुलिस हर महीने सटोरियों के गुर्गों के खिलाफ कार्रवाई करती है तो फिर उनसे पूछताछ कर खाईवालों तक क्यों नहीं पहुंच पाती।कभी चोरी-छिपे चलने वाला सट्टा बाजार आजकल कानून की ढीली पकड़ की वजह से खाईवाल के संरक्षण में खुलेआम संचालित हो रहा है। ओपन, क्लोज और रनिंग के नाम से चर्चित इस खेल में जिस प्रकार सब कुछ ओपन हो रहा है उससे यही प्रतीत होता है कि प्रमुख खाईवाल को कानून का कोई खौफ नहीं रह गया है।या फिर एक दूसरे के सहयोग से इस कारोबार को अंजाम दिया जा रहा है।