हरदा जिले के खिरकिया विकासखण्ड और सिराली की ग्राम पंचायत दीपगाव कला के 2 से 3 हेक्टयर के एक छोटे से किसान माखन विश्वकर्मा ने अपने स्वयं के खर्चे पर 1100 /अमरूद जाम के पौधे तैयार कर रहे।यह पौधे ताइवान पिंक प्रजाति के पौधे है जो कि महाराष्ट्र से खरीद के लेकर आए हैं।
किसान द्वारा बताया गया के इन जाम के पौधों से लाभ लेने के साथ साथ मेरी मंशा पर्यावरण को शुद्ध रखने की भी अगर हर किसान मेरी तरह ऐसे कुछ पौधे लगाए तो हमारा वातवरण साफ और स्वच्छ रहेगा।
किसानों से भी अपील की के आप लोग भी परंपरागत खेती को छोड़ कर बागवानी,मिश्रित खेती पर ध्यान दे जो कि किसान के लिए अधिक आय का साधन बन सके
साथ ही किसान ने मांग की के उनके पास अभी तक कोई भी कृषि विभाग या उद्यानिकी विभाग का कोई भी जिम्मेदार नही आया है जिससे वे बेहतर तरीके से मार्ग दर्शन ले कर अपने पौधों की और अच्छे से परवरिस कर सकें
अभी की स्थिति में पौधे को लगाए हुए 1वर्ष ओ आसपास होने को हैं, वर्तमान में 100 अमरूद,जाम प्रत्येक पौधे में लगे हैं
हम किसान भाइयों को बताते चले अमरूद की सफल खेती उष्ण कटीबंधीय और उपोष्ण-कटीबंधीय जलवायु में सफलतापूर्वक की जा सकती है। उष्ण क्षेत्रों में तापमान व नमी के पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध रहने पर फल वर्ष भर लगते हैं। अधिक वर्षा वाले क्षेत्र 1245 सेमी से अधिक इसकी बागवानी के उपयुक्त नहीं है। छोटे पौधे पर पाले का असर होता है।
यह भारत में आम उगाई जाने वाली, पर व्यापारिक फसल है। इसका जन्म केंद्रीय अमेरिका में हुआ है। इसे उष्णकटिबंधीय और उप- उष्णकटिबंधीय इलाकों में उगाया जाता है। इसमें विटामिन सी और पैक्टिन के साथ साथ कैल्शियम और फासफोरस भी अधिक मात्रा में पाया जाता है। यह भारत की आम, केला और निंबू जाति के बूटों के बाद उगाई जाने वाली चौथे नंबर की फसल है। इसकी पैदावार पूरे भारत में की जाती है। बिहार, उत्तर प्रदेश, महांराष्ट्र, कर्नाटक, उड़ीसा, पश्चिमी बंगाल, आंध्र प्रदेश और तामिलनाडू के इलावा इसकी खेती पंजाब और हरियाणा में भी की जाती है। पंजाब में 8022 हैक्टेयर के रकबे पर अमरूद की खेती की जाती है और औसतन पैदावार 160463 मैट्रिक टन होती है।
यह सख्त किस्म की फसल है और इसकी पैदावार के लिए हर तरह की मिट्टी अनुकूल होती है, जिसमें हल्की से लेकर भारी और कम निकास वाली मिट्टी भी शामिल है। इसकी पैदावार 6.5 से 7.5 पी एच वाली मिट्टी में भी की जा सकती है। अच्छी पैदावार के लिए इसे गहरे तल, अच्छे निकास वाली रेतली चिकनी मिट्टी से लेकर चिकनी मिट्टी में बीजना चाहिए।