सिराली: हरदा जिले की सबसे छोटी तहसील बनी अवैध कॉलोनाइजरों की पहली पसंद
भोली-भाली जनता को प्लॉट के नाम पर गुमराह कर रहे दलाल और अफसर, मेहनत की कमाई पर डाका
शेख अफरोज हरदा, मध्यप्रदेश: हरदा जिले की सबसे छोटी तहसील सिराली, जो हाल ही में नगर परिषद घोषित हुई है, अब अवैध कॉलोनाइजरों और भ्रष्ट अधिकारियों की साजिशों का अड्डा बनती जा रही है। नगर परिषद बनने का लाभ जहां स्थानीय जनता को मिलना चाहिए था, वहीं इसका फायदा कुछ चुनिंदा भू-माफिया और सरकारी कर्मचारी मिलकर उठा रहे हैं।
सिराली क्षेत्र में इन दिनों तेजी से अवैध कॉलोनियों का जाल बिछाया जा रहा है। प्रशासन की आंखों के सामने यह खेल चल रहा है, मगर कार्रवाई न के बराबर हो रही है। वजह साफ है—इन अवैध कॉलोनाइजरों की मिलीभगत सीधे तौर पर राजस्व, नगर परिषद और अन्य संबंधित विभागों के अफसरों से है।
ग्रामीण क्षेत्रों से सिराली जैसे छोटे कस्बे की ओर पलायन कर रही भोली-भाली गरीब जनता बेहतर जीवन और अपनी जमीन की चाह में प्लॉट खरीद रही है, मगर उन्हें यह नहीं पता कि यह जमीन वैध है या अवैध। कॉलोनाइजर इस बात का फायदा उठाकर उन्हें झूठे आश्वासन देते हैं कि ‘सब वैध है’, ‘नगर परिषद से मंजूरी मिल चुकी है’, और ‘सड़क, पानी, बिजली की सुविधा जल्द आ जाएगी’। सच्चाई यह है कि इन कॉलोनियों में न तो कोई सरकारी मंजूरी होती है और न ही भविष्य में बुनियादी सुविधाएं मिलने की कोई गारंटी।
सिराली में अब तक कई कॉलोनियां बिना किसी नियम-कायदे के काटी जा चुकी हैं। प्लॉट बेचे जा चुके हैं, मकान बन गए हैं, मगर न तो रास्ता ठीक से बना है, न ही नालियों की व्यवस्था है। कई जगह तो पीने के पानी और बिजली के कनेक्शन तक की स्थिति स्पष्ट नहीं है। शिकायत करने पर लोग इधर-उधर भटकते रहते हैं, क्योंकि संबंधित विभाग के अधिकारी भी इस कम में या तो शामिल हैं या जानबूझकर आंख मूंदे हुए हैं।
स्थानीय नागरिकों का कहना है कि सिराली नगर परिषद बनने के बाद उन्हें लगा था कि अब क्षेत्र में विकास की गति तेज होगी, लेकिन हुआ इसका उल्टा। कॉलोनाइजरों को खुली छूट मिल गई है। नाम मात्र की जांच-पड़ताल कर नक्शा पास कर दिया जाता है या बिना किसी दस्तावेज के प्लॉटिंग शुरू हो जाती है। एक ओर जहां नगर परिषद और राजस्व विभाग को इस पर सख्त कार्रवाई करनी चाहिए, वहीं वे इस पूरे खेल में मौन साधे हुए हैं।
कुछ जागरूक नागरिकों और सामाजिक संगठनों ने अब इस विषय को लेकर आवाज उठानी शुरू की है। उनका कहना है कि अगर शीघ्र ही प्रशासन ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया, तो सिराली में रहने वाले लोगों के लिए यह एक बड़ा संकट बन जाएगा। न वैध कब्जा, न मूलभूत सुविधाएं, और न ही भविष्य में किसी प्रकार की सरकारी योजना का लाभ मिल सकेगा।
अब जरूरत है कि जिला प्रशासन, नगर परिषद और राजस्व विभाग एकजुट होकर ऐसे अवैध कॉलोनाइजरों पर कार्रवाई करें और साथ ही आम जनता को जागरूक करें कि प्लॉट खरीदने से पहले कानूनी प्रक्रिया की पूरी जानकारी लें। सिराली जैसे छोटे नगर को योजनाबद्ध और कानूनी ढंग से विकसित करने की आवश्यकता है, न कि इसे भू-माफियाओं के हाथों सौंप देने की।
सिराली का नगर परिषद बनना जहां विकास की उम्मीद लेकर आया था, वहीं यह अब कुछ लालची कॉलोनाइजरों और भ्रष्ट अफसरों की मिलीभगत का शिकार बन गया है। प्रशासन को चाहिए कि वह इस अवैध कारोबार पर रोक लगाए और भोली-भाली जनता की मेहनत की कमाई को लूटे जाने से बचाए। वरना सिराली एक और अनियोजित और समस्याग्रस्त नगर के रूप में जाना जाएगा।